हनुमान बाहुक
हनुमान बाहुक हिंदी में संपूर्ण पढ़े यहाँ से -छप्पय- सिंधु तरन, सिय-सोच हरनू, रबि बाल बरनू तनु । भुज बिसाल, मूरति कराल कालहु को काल जनु ॥ गहन-दहन-निरदहन लंक निःसंक, बंक-भुव । जातुधान-बलवान मान-मद-दवन पवनसुव ॥ कह तुलसिदास सेवत सुलभ सेवक हित सन्तत निकट । गुन गनत, नमत, सुमिरत जपत समन सकल-संकट-विकट ॥१॥ स्वर्न-सैल-संकास कोटि-रवि त … Read more